Madhu Arora

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अनोखी किस्मत

भाग 13
अभी तक आपने पढा, राधिका मोर देखने के लिए कहती हैं। रघुनंदन जी हंसते हैं राधिका मोर देखने के लिए मना कर दी, रघुनंदन जी कहते हैं अब तो हम मोर देखकर आगे बढ़ेंगे,और सबने उतरकर मोरों को देखने लगे अबअंधेरा गहराने लगा  तांगा शादी वाले घर  में मेहमानों को लेकर जा पहुंचा था।

 दरवाजे पर पहुंचते  राधिका ने अपना घूंघट थोड़ा लंबा कर लिया रघुनंदन सिंह अपने दोस्त धर्मवीर के गले मिले और बड़े बुजुर्गों के चरण स्पर्श किए।
 
 और राधिका ने भी बड़ों के चरण छुए ‌।
 
 धर्म सिंह जी बोले भाई रघुनंदन तुमने शादी कर ली और बताया भी नहीं यह सब कब  हुआ रघुनंदन जी बोले यह लंबी कहानी थोड़ा रुको  फिर बताता हूं।
 
  रघुनंदन सिंह ने जलपान ग्रहण करते करते सारे कहानी कह सुनाई, धर्म सिंह बोले "अच्छा तो यह सब अचानक हो गया लेकिन यह तो बताओ कि अब तो सब ठीक है ना भाभी ने स्वीकार कर लिया या नहीं वह तुम से प्रेम करने लगी है या नहीं"?
  
   पता नहीं !इसका क्या मतलब है ।"हां या ना अब तो मैं ना नहीं करूंगा" बस वक्त का इंतजार है।
   
   राधिका को देखकर रीमा बोली" भाई साहब ने दूसरा विवाह भी कर लिया और हमें बुलाया भी नहीं "?
   
धर्म सिंह की पत्नी रीमा ने राधिका को ताना दिया।

     राधिका कहने लगी वह क्या है" जीजी !सब इतनी जल्दी में हुआ कि किसी को बुलाने का मौका नहीं मिला"।
     
    राधिका ने अपनी सफाई दी तभी रघुनंदन सिंह जी के गांव से आने वाले मेहमान जिनका तांगा रास्ते में मिला था उनकी पत्नी जानकी बोली" झूठ बोल रही है  मैं आप सब को सब बात बताती हूँ" ।
  
    दरअसल छोटी पत्नी मिले तो कोई भी मरद शादी करने को राजी हो जाएगा। राम जाने सच क्या है और झूठ क्या है ऐसे थोड़ी होता है कि किसी को भी नंदू की मां बना दो।
    
     तभी रीमा बोली "कैसी बातें कर रही हो बहन बिना बात किसी के बारे में ऐसे नहीं बोलते ।जो भी हो गया भाई साहब की बात आई है ना जाने  कोई किसी की क्या मजबूरी थी"।
      
       यह तो वही जाने !कि वह इनकी मजबूरी थी या उनकी मजबूरी, भगवान ही जाने !ना तो इन्होंने शादी की ना बुलाया और उसने सारी बात वहां पर बोल दी।
       
      यह दोनों ही गलत को गलत और सही को सही कह रही थी और इतना कहकर जानकी  वहांँ से चली गई। खड़े-खड़े राधिका की बड़ी-बड़ी आंखों से आंसू टपकने लगे, उसको कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।
      
 रीमा बोली "चलो हटाओ न बहन क्यो मन खराब कर रही हो। लोग तो  कुछ भी कहते रहते हैं चलो अपना मुंह धोकर कपड़े बदल लो इतने भारी कपड़ों में काम भी नहीं  होगा बारात के समय कल अच्छे से तैयार हो जाना। और इतना सुंदर चाँद सा चेहरा उदास अच्छा नहीं लगता।"
 
      जलपान के बाद सभी खाना खाने बैठे।
      
     आलू मटर की सब्जी गोभी की तरकारी बूंदी के लड्डू चावल और रोटी थे ।पहले पुरुष और  फिर महिलाओं की पंगत लगी ,खाने  के बाद सब फुर्सत में थे तभी रीमा राधिका से बोली "चलो बहन बन्नी के मेहंदी तो लगा दो"
      राधिका खुश होकर बोली" हां हां क्यों नहीं।
       तभी रीमा की जिठानी बोली कैसी बातें कर रही हो।
      उनकी दूसरी शादी  है यह मेरी बेटी को कैसे मेहंदी लगा सकती है।
       और कुछ अनाप-शनाप बोलने लगी।
       
       राधिका की आंखों में आंसू निकल पड़े।
        तभी रुकमणी की जेठानी बोली क्या गलत कहा मैंने पंडित ना
    बराती ऐसी भी कहीं शादी होती है?
    यह सब बातें रघुनंदन ने सुनी और बोले मित्र धर्म सिंह जहां मेरी पत्नी का अपमान है मैं वहां रही नहीं रुक सकता मैं उनकी आंखों में और आंसू नहीं देख सकता
     और कहने लगे क्षमा करें मित्र  मैं आपके हर कार्य के लिए हमेशा तत्पर रहूंगा अभी आज्ञा दीजिए।
     
      उन्होंने राधिका से अंदर से सामान लाने को कहा और उसी समय धर्म सिंह के साथ हाथ जोड़कर माफी मांगी और परिवार सहित तांगे पर बैठ गए।
      आप आगे देखिए क्या होता है जानने के लिए पढ़ते रहिए  मेरा हौसला बढ़ाते रहिए आपके लाइक और कमेंट मुझे लिखने के लिए प्रेरित करते हैं। धन्यवाद 🙏🙏

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2 Comments

Natasha

16-May-2023 10:34 PM

Nice part

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Mukesh Duhan

16-May-2023 09:14 PM

Nice ji

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